डिजाइनर के अंदर
“अब मुझे सब कुछ समझ में आ गया है”, अन्वेषक ने लौटकर ऑफिसर से कहा। “हाँ, सब कुछ लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण को छोड़कर”, ऑफिसर ने एक हाथ से उसे पकड़कर दूसरे हाथ से इशारा करते हुए कहा, “डिजाइनर के अन्दर ही वे बटन और चक्के हैं,
जो हेरो को कंट्रोल करते हैं, और यह नियंत्रित होता है उस दण्ड के अनुसार जो उसे लिपिब( करना होता है उसकी मात्रा के अनुसार। मैं अभी-भी पूर्व कमाण्डेंट की बनाई योजना के निर्देशानुसार ही चलता हूँ।
वे यह रहे” - कहते हुए उसने चमड़े के ब्रीफकेस से कुछ कागज निकाले- “लेकिन मुझे क्षमा करें, मैं इन्हें आपको दे नहीं सकता, ये मेरे लिए सर्वाधिक मूल्यवान हैं। बस, यह एक कागज ही देख लीजिए, मैं इसे आपके सामने पकड़े रखूँगा, बस इतने मात्र से आपको सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा”,
यह कहते हुए उसने पहिला पन्ना उसके सामने खोल दिया। अन्वेषक ने कुछ प्रशंसात्मक वाक्य कहे होते, लेकिन वह अपने सामने मात्र पंक्तियों की भूलभुलैया ही देख रहा था, जो बार-बार एक दूसरे को काट रही थीं, वे इतनी बार कटी थीं और इतने निकट थीं कि उनके बीच के खाली स्थान को देखना सम्भव ही नहीं था। “पढि़ए” ऑफिसर ने कहा।
“ये बहुत विशिष्टि है”, अन्वेषक ने अपने का बचाते हुए कहा, “लेकिन मैं इसे पढ़ नहीं पा रहा हूँ।” “हाँऽऽ”, ऑफिसर ने हँसते हुए कागज को अलग रखते हुए कहा, “यह लिपि स्कूल के बच्चों की लिपि की तरह नहीं है, इसे पर्याप्त ध्यान से पढ़ना होता है। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि अन्त में आप भी इसे समझ जाएँगे।
स्वाभाविक है यह लिपि सामान्य नहीं है। किसी को भी तत्काल मारने की आवश्यकता नहीं है। कुछ समय के बाद औसतन बारह घंटों में घूमने का समय छठवें घंटे में आना चाहिए, इसीलिए लिपि में ढेरों घुमाव आते हैं, लिपि पूरे शरीर में ही लिखी जाती है, लेकिन एक संकरे घेरे में और अधिकांश देह सुरक्षित रहती है अलंड्डत करने के लिए।
अब तो आप हेरो की प्रशंसा करेंगे न, आप जरा इस पूरी मशीन को तो गौर से देखें आप,” कहते उसने सीढि़याँ चढ़ी और एक चक्के को घुमाने के बाद नीचे झुककर कहा, “देखिए जरा सम्भलिएगा और प्लीज़ साइड भी रहे आएँ।”
पूरी मशीन चलने लगी थी, यदि चक्के से किर्र-किर्र की आवाज़ न आती, तो यह सब कुछ बेहद शानदार दिख रहा था। ऑफिसर ने चक्के की आवाज को आश्चर्य से सुना। मुट्ठी बाँध कर उसे दिखाई और फिर दोनों हाथ माफी माँगने के अन्दाज में फैला दिए।
अन्वेषक से क्षमा माँगते वह तेजी से सीढि़यों से नीचे उतर मशीन के नीचे की कार्यप्रणाली देखने लगा। वहाँ कुछ ऐसा हो रहा था, जो दूसरे किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था, सिवाय उसके जिसे गड़बड़ी का अन्दाजा था।
वह फिर से ऊपर चढ़ा, डिजाइनर में हाथ डाल कुछ करता रहा और फिर एक रॉड के सहारे नीचे सरक आया, सीढि़यों से उतरने के स्थान पर, ताकि जल्दी से नीचे उतर सके। मशीन के निचले भाग को देख उसने सीने में कुछ अधिक हवा भरी और जोर से अन्वेषक के कान में चिल्लाया, ताकि दूसरी आवाज़ों के बीच उसकी आवाज़ स्पष्ट सुनाई दे, “क्या आपकी समझ में आ गया। हेरो लिखना शुरू करने जा रहा है, जब वह पहला ड्राफ्ट पूरा कर लेगा पीठ पर तब सूती-ऊनी परत धीरे-धीरे घूमना शुरू हो जाएगी और धीरे-धीरे देह पलट जाएगी, इस प्रकार हेरो को लिखने के लिए नई जगह मिल जाएगी।
इस बीच जिस भाग पर लिखा जा चुका है, वह हिस्सा सूती-ऊनी कपडे़ पर पड़ा रहता है जो इस प्रकार का बनाया गया है कि वह रिसते खून को सोख लेता है और लिपि लिखने के लिए तैयार हो जाता है। फिर जैसे ही देह आगे घूमती है हैरो के किनारे बने दाँते सूती-ऊनी कपड़े को घावों से अलग खींचकर कब्र में फेंक देते हैं लेकिन अभी भी हेरो को करने के लिए और भी काम बचे रहते हैं।
इस प्रकार देह में और गहराई में बारह घण्टे तक मशीन लिखती रहती है। पहले छः घण्टे के बाद मुँह में फँसे फेल्ट के पट्टे को निकाल लिया जाता है, क्योंकि तब तक उसमें चीखने लायक शक्ति बचती ही नहीं है। यहाँ पर, बिजली के गर्म बेसिन से बेड के सिरे पर कुछ गर्म मांड बहाया जाता है जिसे यदि आदमी चाहे तो अपनी मनमर्जी के अनुसार जीभ से चाट सकता है।
अभी तक किसी एक ने भी इस अवसर को नहीं छोड़ा है। मुझे अच्छी तरह याद है एक ने भी नहीं और मेरे अनुभव विश्वास करें, बहुत अधिक हैं। करीब छः घण्टे के बाद आदमी की भूख मर जाती है। ऐसे अवसरों पर मैं घुटनों के बल बैठकर इस चमत्कार पूर्ण अनहोनी को देखता रहता हूँ।
आदमी प्रायः अन्तिम घूंट को प्रायः निगलता नहीं है बस वह उसे मुँह में घुमाता रहता है और फिर कब्र में थूक देता है। ऐसे समय मुझे झटके से झुकना पड़ता है नहीं तो मेरे मुँह पर ही थूक आकर गिर जाएगा। लेकिन छठे घण्टे के होते-होते यह बेहद शान्त हो जाता है। सबसे बड़े मूर्ख को भी एहसास हो जाता है और यह शुरू होता है आँखों से वहीं से वह स्पष्ट होता है।
एक ऐसा पल जब कोई भी उसके साथ हेरो में रहने को तत्पर हो जाएगा। बस, उसके साथ कुछ भी नहीं होता, वह उस लिपि को समझने लगता है, वह अपने मुँह को दबाकर संकुचित कर लेता है जैसे वह सुन रहा हो। आपने तो स्वयं देखा है उस लिपि को आँखों से पढ़ना कितना कठिन है, लेकिन हमारा आदमी इसे अपने घावों से पढ़ता है।
यह तो निश्चित है कि यह कितना कष्ट साध्य होगा। पूरे छः घण्टे लगते हैं उसे समझने में। उस समय तक हेरो ने उसे पूरी तरह से छेद दिया होता है और उसे कब्र में फेंक दिया होता है, जहाँ वह खून-पानी और सूती-ऊनी कपड़े में लिथड़ा पड़ा रहता है और तब जाकर न्याय पूरा हो चुका होता है और फिर हम, याने सैनिक और मैं उसे दफना देते हैं।”
अन्वेषक के कान ऑफिसर की ओर लगे थे, उसके हाथ जैकेट के पॉकेट में थे और वह मशीन को काम करते देखे जा रहा था। देखने को तो सजायाफ्ता भी देख रहा था लेकिन बिना समझे। वह घूमती सुइयों को देखने कुछ आगे झुका,
तभी सैनिक ने ऑफिसर के इशारे पर चाकू से उसकी शर्ट और पेन्ट को चीर दिया। वे नीचे गिरने लगे तो सजायाफ्ता ने अपने कपड़ों को पकड़ अपने नंगेपन को छिपाने की कोशिश की, लेकिन सैनिक ने कपड़ों को हवा में उठा लिया और उसे हिला-डुलाकर उसकी देह के अन्तिम कपड़े के टुकड़े को गिरा दिया।
ऑफिसर ने मशीन बन्द की और एकाएक उपजी खामोशी में सजायाफ्ता को हैरो के नीचे लिटा दिया। उसकी जंजीरों को ढीला कर उन्हें खोल उनकी जगह पट्टे बाँध दिए गए। उन कुछ शुरुआती क्षणों में सजायाफ्ता को यह पर्याप्त आरामदायक लगा।
इसके बाद हैरो को कुछ नीचे किया गया क्योंकि वह आदमी दुबला-पतला मरियल-सा था। जैसे ही उसकी देह को सुइयों की नोकों ने छुआ उसकी पूरी देह में कंपकपी की लहर दौड़ गई जबकि सैनिक उसके दाहिने हाथ को पट्टे से बाँधने में व्यस्त था, उसने अपना बायां हाथ अंधों की तरह पटका, लेकिन वह उस दिशा में था जहाँ अन्वेषक खड़ा था।
ऑफिसर आँखों के कोने से अन्वेषक की ओर देखे जा रहा था, जैसे उसके चेहरे के भावों से दण्ड के प्रभाव को समझना चाहता हो जिन्हें उसने उसे समझाया था।
अचानक कलाई बंधी पट्टी टूट गई, शायद सैनिक ने उसे बहुत कसकर बाँध दिया था ऑफीसर को उसे रोकना पड़ा। सैनिक ने उसे टूटे-पट्टे के टुकड़े दिखाए। ऑफिसर उसके निकट चला गया लेकिन उसका चेहरा अभी भी अन्वेषक की ओर ही था।
“यह एक निहायत उलझी हुई मशीन है, इसमें कुछ न कुछ टूटता ही रहता है या फिर काम करना बन्द कर देता है, लेकिन अपने निर्णय पर तो आदमी को अडिग रहना चाहिए न, भटकना तो गलत ही माना जाएगा, अब इस पट्टी को ही लीजिये यह तो अभी भी काम करने लायक बन जायेगी नहीं तो मैं जंजीर का उपयोग कर लूँगा बस दाहिने हाथ की कम्पन पर ही उसका कुछ प्रभाव पड़ेगा।”
कहते उसने जंजीर को बाँधते आगे कहा, “इस मशीन के पार्ट्स पर्याप्त सीमित ही हैं। भूतपूर्व कमाण्डेंट के समय में मेरे पास इसके लिए पर्याप्त राशि अलग से रहा करती थी। वैसे यहाँ के एक स्टोर्स में इसके रिपेयरिंग के लिए अतिरिक्त पाट्र्स रहते हैं।
यह मैं स्वीकारता हूँ कि मैं उनको ले पर्याप्त उदार रहा आया हूँ, मेरा मतलब है पिछले समय में, आजकल नहीं, क्योंकि नया कमाण्डेंट हमेशा पुराने तरीकों पर हमला करने के लिए बहाने की तलाश में ही रहा आता है। फिलहाल तो इस मशीन के हिस्से की रकम वे अपने अधिकार में ही रखे हैं।
अब यदि मैं नए पट्टे के लिए उनसे कहूँगा, तो वे मुझसे पुराने टूटे पट्टे के टुकड़े सबूत में माँगेंगे और फिर पूरे दस दिन लगेंगे नए पट्टे के आने में और जो आएगा वह बेकार से मटेरियल से बना और अच्छी क्वालिटी का भी नहीं होगा। लेकिन मशीन को मैं बिना पट्टे के कैसे चलाऊँगा, इस बारे में और कोई चिन्ता करना ही नहीं चाहता।”